नेपोटिज्म बोले नाना पाटेकर, कहा- बॉलीवुड में स्टार किड्स को जनता पर थोपा जाता है

नेपोटिज्म पर नाना पाटेकर बोले- बॉलीवुड में स्टार किड्स को जनता पर थोपा जाता है

बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर नाना पाटेकर की फिल्म ‘द वैक्सीन वॉर’ जल्द रिलीज होने वाली है। विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो गया है।

बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर नाना पाटेकर की फिल्म ‘द वैक्सीन वॉर’ जल्द रिलीज होने वाली है। विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो गया है। ट्रेलर लॉन्च इवेंट में मंगलवार को नाना पाटेकर ने फिल्म इंडस्ट्री और बॉलीवुड फिल्मों को लेकर बहुत सारी बातें की। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए इस वक्त की हिट फिल्मों पर भी कटाक्ष किया। अब उनके कमेंट को शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ से जोड़कर देखा जा रहा है।

जब मीडिया इंटरेक्शन के दौरान नाना से पैरलल और कमर्शियल सिनेमा के बीच अंतर को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन दोनों के बीच जो अंत था वो अब नहीं रहा। उन्होंने कहा कि OTT आने के बाद हर फिल्म को एक प्लेटफॉर्म मिल गया है। जितने दर्शक थे, उतने पैसे हमारे आ जाते थे। तो समांतर फिल्म का बुरा हाल है। अब थॉट अब कौन सा रखते हैं, तो जिस तरह की फिल्में अब हिट हो रही हैं।

नाना पाटेकर आगे कहा कि जिस तरह की फिल्में अब आ रही हैं, लोगों को उस तरह की फिल्में देखने को मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “मैंने कल बहुत ही हिट हुई फिल्म, वो देखा। मतलब मैं पूरी देख नहीं पा रहा था। लेकिन वो बहुत चलती है यार। अब वो चलती है तो हमें लगता है कि हमें बार-बार इस तरह का मैटेरियल दिखाकर मजबूर करते हैं, हमें वो पसंद करने के लिए।” नाना के इस बयान को अब इस वक्त की सबसे हिट फिल्म ‘जवान’ से जोड़कर देखा जा रहा है।

उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को लेकर कहा कि यहां स्टार किड्स को जनता पर थोपा जाता है। उन्होंने कहा, “अब मैं एक्टर हूं। कल को मैं अपने बेटे को एक्टर बनाना चाहता हूं। उसकी औकात हो न हो। लेकिन मैं थोपना चाहता हूं आपके ऊपर। एक फिल्म गिर जाएगी, फिर दो और ऐसे करके 10 फिल्में होंगी, जिसके बाद उसकी बुराइयां आपको कम आने लगती हैं।”

उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “और आहिस्ता-आहिस्ता आप उसे अपनाने लगते हो। और एक दिन वो हमारे सिर पर बैठता है। ऐसा आज का चित्र है हमारे यहां। तो कुछ ऐसी घिनौनी फिल्म है हमारे यहां, जो हमें देखने पर मजबूर करते हैं। लेकिन हमें लगता है कि नहीं यही अच्छी फिल्म है। उसमें अगर ‘द वैक्सीन वॉर’ जैसी फिल्म आती है तो पता चलता है कि नहीं यार। दो फिल्मों में फर्क है।”