आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कौशल विकास निगम घोटाले के सिलसिले में आपराधिक जांच विभाग (CID) ने आज गिरफ्तार किया है। तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने बताया कि नायडू को नंद्याल में गिरफ्तार किया गया।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को CID ने किया गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कौशल विकास निगम घोटाले के सिलसिले में आपराधिक जांच विभाग (CID) ने आज गिरफ्तार किया है। तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने बताया कि नायडू को नंद्याल में गिरफ्तार किया गया।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कौशल विकास निगम घोटाले के सिलसिले में आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने आज शनिवार को गिरफ्तार किया है। तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने बताया कि नायडू को नंद्याल में गिरफ्तार किया गया। आधी रात के बाद भारी नाटकीय घटनाक्रम के बाद सुबह करीब 6 बजे टीडीपी प्रमुख को गिरफ्तार कर लिया गया। कल देर रात जब सीबीआई अधिकारी नंद्याल के एक समारोह हॉल में पहुंचे और नायडू को गिरफ्तारी वारंट दिया, तो टीडीपी समर्थकों ने उन्हें हिरासत में लेने से रोक दिया।

उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 (बी), 166, 167, 418, 420, 465, 468, 201 और 109 के साथ-साथ 34 और 37 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम- 1988 के तहत भी आरोप लगाए गए हैं। इस बीच कौशल विकास मामले में आंध्र प्रदेश सीआईडी के चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के बाद कई टीडीपी नेताओं को भी नजरबंद कर दिया गया है।

चंद्रबाबू नायडू को इस पूरे मामले में आरोपी नंबर एक बताया गया है और उन पर भ्रष्टाचार और राज्य को हिलाकर रख देने वाले इस घोटाले में कैबिनेट को गुमराह करने का आरोप है। कौशल विकास निगम घोटाला में 371 करोड़ रुपये की चौंका देने वाली सरकारी रकम की हेराफेरी शामिल है। इस घोटाले ने पूरे आंध्र प्रदेश को सदमे में डाल दिया था।

नायडू और मामले में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ लगाए गए आरोपों में अनुबंधों में हेरफेर करना, सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करना और कौशल विकास निगम की आड़ में एक धोखाधड़ी योजना को अंजाम देना शामिल है। जीएसटी, इंटेलिजेंस, आईटी, ईडी और सेबी जैसी सरकारी एजेंसियों ने इस घोटाले की गहन जांच की है। अधिकारियों ने विदेशों में छिपाकर रखे गए लूटे गए धन को सफलतापूर्वक वापस ला दिया है।

जून 2014 में चंद्रबाबू नायडू के सत्ता संभालने के दो महीने बाद ही यह घोटाला सामने आया था। विचाराधीन परियोजना की कुल लागत रु। 3,356 करोड़ है। जिसमें सरकार का योगदान 10 प्रतिशत है, जबकि सीमेंस 90 प्रतिशत फंडिंग के लिए प्रतिबद्ध है। इस घोटाले में एक प्रमुख पक्ष सीमेंस ने आंतरिक जांच की और एक मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक बयान दिया। सीमेंस ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी कंपनी की सरकार द्वारा जारी संयुक्त उद्यम (जीवीओ) या एमओयू में कोई भागीदारी नहीं थी।

कौशल विकास का एक नोट, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीआरपी) के रूप में अनुमानित लागत दिखाते हुए तय सरकारी प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए कैबिनेट में पेश किया गया था। इस मामले में केंद्रीय मुद्दों में से एक यह तरीका भी है। इस अनियमितता ने तेजी से मंजूरी और रकम जारी करने के साथ मिलकर, नियमों, विनियमों और उचित प्रक्रिया के पालन के बारे में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके अलावा अनुबंध और सरकारी आदेश में विरोधाभासी दिखता हैं। क्योंकि रकम स्पष्ट अनुबंध के बगैर जारी की गई थी। आरोप बताते हैं कि वित्त विभाग के अधिकारियों के आपत्ति जताए जाने के बाद भी नायडू ने तत्काल रकम जारी करने के आदेश दिए।