जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को ईडी ने किया गिरफ्तार

जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को ED ने किया गिरफ्तार

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को गिरफ्तार कर लिया है। गोयल पर 538 करोड़ रुपये के केनरा बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। गिरफ्तारी से पहले उनसे शुक्रवार को पूछताछ की गई थी।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को गिरफ्तार कर लिया है। गोयल पर 538 करोड़ रुपये के केनरा बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। गिरफ्तारी से पहले उनसे शुक्रवार को पूछताछ की गई थी। आज मुंबई में गोयल को एक विशेष पीएमएलए कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां ईडी उनकी हिरासत की मांग करेगी।

ईडी के अधिकारियों ने नरेश गोयल को शुक्रवार को पूछताछ के लिए तलब किया था। वो इससे पहले दो बार ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। ईडी अधिकारी गोयल को पूछताछ के लिए ले गए जहां से उन्हें मुंबई लाया गया था। पूछताछ के बाद जेट एयरवेज के संस्थापक को गिरफ्तार कर लिया गया।

जेट एयरवेज के संस्थापक के खिलाफ ईडी का यह केस इस साल मई में दर्ज सीबीआई की एफआईआर पर आधारित है। 5 मई को सीबीआई के अधिकारियों ने गोयल के आवास और उनके दफ्तरों सहित मुंबई में 7 जगहों पर तलाशी ली थी।

केनरा बैंक में कथित 538 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में जेट एयरवेज, नरेश गोयल, उनकी पत्नी अनीता और कंपनी के कुछ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आया।

एफआईआर बैंक की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने जेट एयरवेज (इंडिया) लिमिटेड (JIL) को 848.86 करोड़ रुपये की क्रेडिट सीमा और लोन मंजूर किए थे, जिसमें से 538.62 करोड़ रुपये बकाया हैं। एफआईआर में कहा गया है कि गोयल परिवार के व्यक्तिगत खर्च, जैसे कर्मचारियों का वेतन, फोन बिल और वाहन खर्च आदि का भुगतान जेआईएल द्वारा किया गया था।

फॉरेंसिक ऑडिट के दौरान सामने आया कि जेट लाइट (इंडिया) लिमिटेड (जेएलएल) के माध्यम से अग्रिम और निवेश करके और बाद में प्रावधान करके उसे बट्टे खाते में डालकर धन की हेराफेरी की गई। जेआईएल ने कथित तौर पर ऋण, अग्रिम और विस्तारित निवेश के रूप में सहायक कंपनी जेएलएल के लिए धन का दुरुपयोग किया।

उल्लेखनीय है कि 25 साल के सफर के बाद अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज बंद हो गई थी। जेट एयरवेज कर्जे में डूबी हुई थी। नरेश गोयल पर अप्रत्यक्ष रूप से विदेश में कई कंपनियों पर नियंत्रण रखने का आरोप है। इन कंपनियों में कुछ ट्रांजैक्शन हैवन देशों में भी हैं। शुरुआती जांच में यह बात भी सामने आई थी कि नरेश गोयल ने टैक्स बचाने के लिए घरेलू और विदेशी कंपनियों के बीच कई संदिग्ध लेनदेन किए और देश से बाहर फंडिंग की है।