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शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने ऐलान किया कि अगर उनकी पार्टी की 2027 में सरकार बनती है तो वह अन्य राज्यों के साथ नदी जल बंटवारे के सभी समझौतों को रद्द कर देगें। उन्होंने कहा कि इसमें रावी-ब्यास का राजस्थान को आठ एमएएफ पानी देने, जो 50 प्रतिशत बनता है, का समझौता भी खत्म करना भी शामिल होगा।
दरअसल, वे जालंधर में प्लानिंग बोर्ड कमेटी के पूर्व चेयरमैन गुरचरण सिंह चन्नी की नाराजगी दूर कर पार्टी में दोबारा शामिल कराने पहुंचे थे। सुखबीर बादल ने इस दौरान मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब बाढ़ आती है तो जान-माल का नुकसान पंजाब का होता है, किसान फसलें और घर तक खो देते हैं, लेकिन जब पानी की जरूरत होती है तो उसे राजस्थान और हरियाणा को दे दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि अकाली दल की सरकार बनते ही सभी जल बंटवारा समझौतों को रद्द कर देगें और यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका पूरा लाभ किसानों को मिले। उन्होंने कहा कि पंजाब का नदी के पानी पर पूरा अधिकार है।। रिपेरियन सिद्धांत भी इसे स्पष्ट करता है कि जिस जगह पर नदी हो उस पर वहां के लोगों का ही अधिकार होता है।
सुखबीर बादल ने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने गैर-रिपेरियन राज्य होने के बावजूद राजस्थान को रावी-जल ब्यास जल में से 8 एमएएफ आवंटित करके राज्य का पानी लूटा। भाखड़ा और ब्यास परियोजनाओं से संबंधित पानी और बिजली वितरण के लिए पंजाब और हरियाणा के बीच समझौते, केंद्र सरकार द्वारा पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धारा 78 में प्रावधान करने से यह अन्याय और अधिक बढ़ गया है।
उन्होंने आगे कहा कि अकाली दल ने सतलुज यमुना लिंक (एसवाईल) नहर के निर्माण को विफल करने के लिए लगातार लड़ाई लड़ी है। पूर्व मुख्यमंत्री सरद्दार परकाश सिंह बादल पंजाब सतलुज यमुना लिंक नहर भूमि विधेयक 2016 को विधानसभा में मंजूरी दिलाने में सफल रहे और एसवाईएल निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई जमीन को किसानों को वापिस की। इस मौके पर वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा, गुरप्रताप सिंह वडाला और डॉ. सुखविंदर कुमार सुक्खी भी मौजूद रहे।
सुखबीर सिंह बादल ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान पंजाब में बाढ़ के हालात के लिए जिम्मवार हैं। उन्होंने कहा कि तीन दिन पहले भाखड़ा बांध के दरवाजे खोलने से पहले सावधानी बरतने के लिए बीबीएमबी की सलाह पर पंजाब सरकार ने काई कदम नहीं उठाया।
सुखबीर बादल ने दावा किया कि उन्हें बीबीएमबी अधिकारियों ने सूचित किया कि पंजाब सरकार को बाढ़ के दरवाजे खोलने से चार दिन पहले सावधानी बरतने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार बाढ़ प्रभावित किसानों को अब तक मुआवजा जारी नहीं कर सकी।
कई जिलों में गिरद्दावरियां शुरू नही की गई है और जो किसान धान की दोबारा रोपाई कर रहे वे अब मुआवजे के लिए अयोग्य घोषित किए जा रहे हैं। बकरियों और मुर्गियों जैसे पशुधन के नुकसान के लिए मुआवजा दिया जाएगा लेकिन अब तक एक भी पैसा जारी नहीं किया गया है।