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बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक अपने कुछ फैसलों के चलते लगातार चर्चा के केंद्र में हैं। वो लगातार ऐसे फैसले रहे हैं जिसपर जमकर राजनीति हो रही है। अब एक बार फिर नए फरमान के बाद जहां विरोधी दल सवाल खड़े कर रहे हैं, वहीं सहयोगी दल राजद ने भी कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने के.के. पाठक के ताजा फरमान पर कहा कि कुछ अधिकारी हमेशा विवादों में बने रहना चाहते हैं, इसलिए ऐसा करते हैं। भाई वीरेंद्र ने कहा कि के.के. पाठक के फरमान से कई काम ठीक भी हुए हैं पर उन्हें ज्यादा तेजी में नहीं रहना चाहिए। ज्यादा तेजी में रहने से गिरने का खतरा बना रहता है।
पाठक पर सवाल खड़ा करते हुए राजद नेता ने कहा कि अपने साथ रहने वाले लोगों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। दरभंगा का एक शख्स गुड्डू चौधरी जो हमेशा केके पाठक के साथ रहता है और उसी के कहने पर लगातार शिक्षकों पर कारवाई करते रहते हैं। दूसरों पर सवाल खड़ा करने के साथ खुद को भी देखना चाहिए।
दूसरी तरफ, बीजेपी प्रवक्ता राम सागर सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार पहले अधिकारियों से मंत्रियों पर नकेल कसते रहे हैं, अब अपने अधिकारियों के बदौलत राज्यपाल पर भी दबाव बनाना चाहते हैं। बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पिछले दिनों लिए एक फैसले के कारण शिक्षा विभाग और राजभवन आमने-सामने हो गया।
शिक्षा विभाग के उस आदेश पर राजभवन ने रोक लगा दी है, जिसमें बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के तीन बैंक खाते के परिचालन पर रोक लगा दिया था। ये खातें मुजफ्फरपुर के भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में खाते थे। राजभवन के आदेश के बाद बिहार विश्वविद्यालय को बड़ी राहत मिली है। राजभवन ने पत्र जारी कर शिक्षा विभाग से पूछा है कि वीसी का वेतन रोकने का पावर है क्या?
राजभवन के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंगथु ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के रजिस्टार को पत्र लिख कर सूचना दी है कि शिक्षा विभाग के खाता संचालन पर रोक को अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है। शिक्षा विभाग के 17 अगस्त को बिहार विश्वविद्यालय के सभी खातों पर रोक का पत्र जारी किया था।
उल्लेखनीय है कि बिहार विश्वविद्यालय के ज्यादातर खाते एलएस कॉलेज के स्टेट बैंक में है। राजभवन का मानना है कि खातों के संचालन पर रोक से वेतन और पेंशन की निकासी पर भी खतरा हो सकता था। ऐसे में शिक्षा विभाग के फैसले को स्थगित करने का फैसला लिया गया है।