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केंद्र की मोदी सरकार ने नेहरू मेमोरियल का नाम बुधवार को बदल दिया। नेहरू मेमोरियल का नाम बदल कर अब पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (पीएमएमएल) कर दिया गया है। लेकिन नाम बदलने के बाद विवाद शुरू हो गया। मोदी सरकार के इस फैसले से कांग्रेस पार्टी बुरी तरह से भड़की हुई है। कांग्रेस नेता इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू की विरासत मिटाने का प्रयास बता रहे हैं। वहीं, सरकार ने इस फैसले का बचाव करते हुए अपने तर्क दिए हैं।
इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की प्रतिक्रिया सामने आई। राहुल गांधी ने कहा कि नेहरू जी की पहचान उनके कर्म हैं, उनका नाम नहीं। इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा था कि मोदी के पास भय, कठिनाई और असुरक्षा का एक बड़ा बंडल है। खासतौर पर जब बात भारत के पहले और सबसे लंबे समय तक देश सेवा करने वाले प्रधान मंत्री नेहरू की होती है, तो वे चीजें साफतौर पर नजर आ जाती हैं।
जयराम ने आरोप लगाया था कि उनका (BJP) एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को नकारना, बदनाम करना और नुकासाान पहुंचाना है। खबरों के मुताबिक, पीएम नरेंद्र मोदी के मुख्य सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्रा को पीएमएमएल की कार्यकारी परिषद का अध्यक्ष बनाया गया है।
साल 2016 में तीन मूर्ति परिसर में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार रखा था। इसके बाद नेहरू मेमोरियल की कार्यकारी परिषद ने 25 नवंबर 2016 को अपनी 162वीं बैठक में इसे मंजूरी दी थी। बीते साल प्रधानमंत्री संग्रहालय 21 अप्रैल 2022 को आम लोगों के लिए खोल दिया गया था। तब उद्घाटन के दौरान भी सरकार के निमंत्रण पर नेहरू-गांधी परिवार का कोई भी सदस्य समारोह में उपस्थित नहीं हुआ था।
बता दें कि भले ही स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी का नाम बदल दिया गया हो लेकिन इसका औपचारिक ऐलान जून के महीने में ही कर दिया गया था। इसका नाम प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी करने का फैसला किया गया था। अब इसे औपचारिक रूप दे दिया गया है।